Shodashi - An Overview
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The working day is observed with wonderful reverence, as followers pay a visit to temples, offer prayers, and be involved in communal worship activities like darshans and jagratas.
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥३॥
सच्चिद्ब्रह्मस्वरूपां सकलगुणयुतां निर्गुणां निर्विकारां
The essence of these rituals lies inside the purity of intention plus the depth of devotion. It's not just the exterior steps but The inner surrender and prayer that invoke the divine existence of Tripura Sundari.
पद्मालयां पद्महस्तां पद्मसम्भवसेविताम् ।
उत्तीर्णाख्याभिरुपास्य पाति शुभदे सर्वार्थ-सिद्धि-प्रदे ।
षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी का जो स्वरूप है, वह अत्यन्त ही गूढ़मय है। जिस महामुद्रा में भगवान शिव की नाभि से निकले कमल दल पर विराजमान हैं, वे मुद्राएं उनकी कलाओं को प्रदर्शित करती हैं और जिससे उनके कार्यों की और उनकी अपने भक्तों के प्रति जो भावना है, उसका सूक्ष्म विवेचन स्पष्ट होता है।
लक्ष्या मूलत्रिकोणे गुरुवरकरुणालेशतः कामपीठे
more info दुष्टानां दानवानां मदभरहरणा दुःखहन्त्री बुधानां
ह्रीङ्कारं परमं जपद्भिरनिशं मित्रेश-नाथादिभिः
प्रणमामि महादेवीं मातृकां परमेश्वरीम् ।
कालहृल्लोहलोल्लोहकलानाशनकारिणीम् ॥२॥
‘हे देव। जगन्नाथ। सृष्टि, स्थिति, प्रलय के स्वामी। आप परमात्मा हैं। सभी प्राणियों की गति हैं, आप ही सभी लोकों की गति हैं, जगत् के आधार हैं, विश्व के करण हैं, सर्वपूज्य हैं, आपके बिना मेरी कोई गति नहीं है। संसार में परम गुह्रा क्या वास्तु है?
पञ्चब्रह्ममयीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥५॥